आइये हमलोग Aam ki Kheti : आम की वैज्ञानिक खेती के बारे में समझते हैं।
आम की वैज्ञानिक खेती | फलों की बागवानी
आम फलों का राजा है। यह विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ‘ए’, ‘बी’ और ‘सी’ पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसका गुद्दा खाने में बड़ा स्वादिष्ट होता है। इससे शर्बत, जैम, जेली, अचार, अमावट आदि तैयार किए जाते है। यह उष्ण जलवायु का पौधा है।
* किस्में – दसहरी, लॅंगड़ा, मालदह, बंबई, नीलम, अल्फैन्जो, जरदालू, सिपिया, मल्लिका, आम्रपाली, कृष्णभोग आदि आम की मुख्य किस्में हैं।
* समय – आम के पौधे लगाने का उपयुक्त समय जुलाई-अगस्त है।
* पौधा तैयार करना – आम का पौधा बीज बोकर या कलम लगाकर तैयार किया जाता है। कलम तैयार करने में साटा विधि तथा विनीअर साटा विधि का उपयोग अच्छा रहता है। बीज द्वारा तैयार किए गए पौधे ‘बीजू पौधे’ कहलाते हैं। इसका पेड बड़ा होता है। इसमें फल देर से लगता है तथा छोटा होता है। कलम द्वारा लगाए गए पौधों में फल जल्दी लगता है तथा पेड़ अपेक्षाकृत छोटे और पैतृक वृक्ष के ही समान गुणवाले होते हैं।
* पौधा लगाना – जुलाई-अगस्त के महीने में (Aam Ka Kheti) पौधे को तैयार गड्ढे में रोपा जाता है। पर रोपने के पूर्व गड्ढे की लगभग 20 cm गहरी मिट्टी को ढीला कर उसमें 100 ग्राम एल्ड्रिन 5% मिला देना चाहिए। इसके बाद थाला बनाकर उसके बीच पौधे को सीधा रोपकर चारों ओर की मिट्टी दबा देना चाहिए। दो पौधों के बीच कम से कम 20 फीट की दूरी अवश्य होना चाहिए।
* खाद या उर्वरक का उपयोग – प्रथम पाँच वर्षों तक कंपोस्ट 20 kg, यूरिया 50 ग्राम, सिंगल सुपरफॉस्फेट 2.5 kg तथा म्यूरिएट ऑफ पोटाश 500 ग्राम प्रति वृक्ष दो बार, दिसंबर और जुलाई में, देना चाहिए।
पूर्ण विकसित होने पर कंपोस्ट 50 kg, यूरिया 1 kg, सिंगल सुपरफॉस्फेट 5 kg, म्यूरिएट ऑफ पोटाश 1 kg देना चाहिए।
* सिंचाई – बाग की सिंचाई नियमित रूप से आवश्यकतानुसार करना चाहिए। मंजर लगने पर सिंचाई नहीं करना चाहिए। पर, जब टिकोला लगने लगे तो सिंचाई अवश्य करना चाहिए। इससे टिकोला कम गिरता है।
* निराई-गुड़ाई – नवंबर और दिसंबर महीने में मिट्टी पलटनेवाले हल से जुताई करना चाहिए। इससे ‘मिली बग’ के अंडे नष्ट हो जाते हैं। दीमक से बचाव के लिए पौधे के चारों ओर मिट्टी 1 kg BHC धूल मिलाकर देना चाहिए।
* फसल-संरक्षण – ‘मधुआ’ से बचाव के लिए डाइक्रॉन 10 मिलिलीटर या न्यूमॉन 15 मिलिलीटर लगभग 30 लीटर पानी में मिलाकर मंजर आने से पहले छिड़काव करना चाहिए। दूसरा छिड़काव 15 दिनों के बाद तथा तीसरा छिड़काव टिकोला लगने पर करना चाहिए।
* कटनी तथा फल-संरक्षण – फलों को पूरा पकने के पहले तोड़ लेना चाहिए। तोड़े हुए फलों को पुआल या भूसा या आम के पत्तों पर फैला देना चाहिए। एक परत फैलाकर उसपर पुआल या भूसा डाल देना चाहिए और उसके ऊपर आम की दूसरी परत फैलाना चाहिए। आवश्यकतानुसार यह क्रम आगे भी अपनाना चाहिए। इस प्रकार रखे हुए आम एक सप्ताह में ही पक जाते हैं।
इस तरह आप बड़े ही आसानी से आम की खेती करके अच्छे खासे पैसों की कमाई भी कर सकते हैं।
आशा करता हूँ की आपको Aam ki Kheti : आम की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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