आइये हमलोग Amrud ki Kheti : अमरूद की वैज्ञानिक खेती के बारे में समझते हैं।
अमरूद की वैज्ञानिक खेती | फलों की बागवानी
पोषक तत्वों की प्रचुरता के कारण अमरूद सेब से भी अधिक पौष्टिक है। विटामिन ‘सी’ में ऑवले के बाद इसका दूसरा स्थान है। इससे भूख बढ़ती है तथा पेट साफ रहता है।
* भूमि – सभी प्रकार की भूमि में अमरूद होता है। दोमट भूमि इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम है।
* किस्में – इलाहाबादी सफेदा, लखनऊ-49, बनारसी, नासिक और चित्तीदार आदि अमरूद की कुछ प्रमुख किस्में है।
* प्रसार विधि – इसका प्रसार बीज तथा अंटा द्वारा किया जाता है।
* गड्ढे का निर्माण – 6 मीटर x 6 मीटर की दूरी पर 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर के गड्ढे खोदकर उसकी मिट्टी निकाल लेना चाहिए। इसके बाद इसमें 20-30 kg गोबर की खाद मिलाकर मिट्टी के गड्ढे में डाल देना चाहिए।
* रोपनी – वर्षा शुरू होने पर पौधा लगाना चाहिए। एक वर्ष का पौधा रोपनी के लिए अच्छा होता है। पौधा गड्डे के बीचोबीच लगाना चाहिए।
* सिंचाई – पौधे में फूल लगने से पहले सिंचाई करना चाहिए। फूल लगने पर सिंचाई नहीं करना चाहिए। गर्मी में एक सप्ताह और जाड़े में 15 दिन पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करना चाहिए।
* खाद एवं उर्वरक का उपयोग – पौधा लगाने के 1 वर्ष बाद से प्रति वर्ष 30 kg कंपोस्ट, 500 ग्राम यूरिया और 1 kg सुपरफॉस्फेट दिया जाना चाहिए।
* निराई-गुड़ाई – अमरूद के बाग को बराबर साफ-सुथरा रखना चाहिए। आवश्यकतानुसार पौधों को छाँट देना चाहिए।
* फसल-संरक्षण – स्केल कीट से बचाव के लिए डायजिनान 20 EC के घोल का छिड़काव करना चाहिए।
* रोग – उकटा रोग सबसे विनाशकारी है। इससे पत्तियों पीली हो जाती हैं और पौधा सूखने लगता है। यदि यह रोग लग जाए तो निराई-गुड़ाई के बाद थाइरम (3 ग्राम दवा प्रति 1 लीटर पानी में मिलाकर) का छिड़काव करना चाहिए।
* उपज – एक प्रौढ़ वृक्ष से 80 क्विंटल फल मिलता है।
* कटनी – पौधा लगने के लगभग चार साल बाद फल देने लगता है। फलों के पक जाने पर उन्हें तोड़ लेना चाहिए।
इस तरह आप बड़े ही आसानी से अमरूद की खेती करके अच्छे खासे पैसों की कमाई भी कर सकते हैं।
आशा करता हूँ की आपको Amrud ki Kheti : अमरूद की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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