आइये हमलोग Aalu ki Kheti : आलू की वैज्ञानिक खेती के बारे में समझते हैं।
आलू की वैज्ञानिक खेती | सब्जियों की बागबानी
आलू भारत की प्रमुख सब्जी है। यह शीतकाल की फसल है तथा सालोभर उपलब्ध रहता है।
* प्रमुख किस्में- कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी लालिमा, कुफरी ज्योति, कुफरी अलंकार, कुफरी सिंदुरी, कुफरी चमत्कार, कुफरी बादशाह, कुफरी नवीन आदि आलू की प्रमुख किस्में हैं। कुफरी सिंदुरी का प्रचलन बिहार में सबसे अधिक है। यह लगभग चार महीने में तैयार हो जाता है।
हिमाचल प्रदेश में शिमला से भी अधिक ऊँचाई पर कुफरी नामक स्थान पर केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान है जिसके नाम पर कुफरी नामकरण हुआ है।
* मिट्टी (भूमि)- आलू के लिए हलका दोमट या हलकी बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है।
* खेत की तैयारी- आलू के उपयुक्त जमीन की अच्छी तरह पलटनेवाले हल से जुताई की जाती है। इसके बाद खेत से खरपतवार हटाकर मिट्टी को समतल किया जाता है। अंतिम जुताई के साथ, बुवाई के पहले, दीमक-कीड़ों से बचाव के लिए 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर BHC चूर्ण मिलाते हैं।
* बोने का समय- आलू के बोने का उपयुक्त समय अक्टूबर-नवंबर है।
* बोने की विधि- खेत में क्यारियाँ या मेड़ बनाकर आलू का बीज बोया जाता है। प्रत्येक पंक्ति की दूरी 50 cm तथा प्रत्येक पौधे के बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर रहना चाहिए।
* बिज-दर- प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल बीज लगता है। हलका-सा रेम (अंकुरण) निकलते हुए आलू बीज का व्यवहार करना चाहिए।
* खाद और उर्वरक- आलू के पौधे के लिए प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन 80-100 किलोग्राम, फॉस्फोरस 100-120 किलोग्राम और पोटाश 80-100 किलोग्राम उर्वरक आवश्यकता होता है।
* सिंचाई- पहली सिंचाई पत्तियाँ निकलने के बाद, दूसरी सिंचाई कंद आने के बाद और तीसरी सिंचाई कद के विकासकाल में करना चाहिए।
* निराई-गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाना- सामान्यतः पौधों के 15-16 cm हो जाने के बाद खरपतवार निकाल लेना चाहिए और उसके बाद पंक्तियों में मिट्टी चढ़ाना चाहिए।
* रोग-नियंत्रण- आलू के पौधों में प्रायः दो तरह के रोग होते हैं-अगात तथा पिछात अंगमारी। इनसे बचाव के लिए इंडोफिल-45 का 2 से 5 किग्रा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। कीड़ों में लाही प्रमुख है। इससे बचने के लिए प्रति लीटर पानी में 1.5 ml रोगर मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।
* फसल को उखाड़ना- आलू तैयार हो जाने पर इसके पत्ते पीले पड़ जाते हैं तथा पौधे सूख जाते हैं। ऐसी स्थिति आने पर खुरपी या छोटे कुदाल से मिट्टी हटाकर आलू निकाल लेना चाहिए।
आशा करता हूँ की आपको Aalu ki Kheti : आलू की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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