आइये हमलोग Sabji ki Kheti – सब्जियों की वैज्ञानिक खेती के बारे में समझते हैं।
सब्जियों की बागबानी | सब्जियों की वैज्ञानिक खेती
* परिचय : सब्जियों का हमारे भोजन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये हमारे दैनिक आहार के आवश्यक अंग हैं। इनसे हमें आवश्यक विटामिन, पौष्टिक लवण, प्रोटीन आदि प्रचुर मात्रा में मिलते हैं जिससे शरीर स्वस्थ्य रहता है। भोजन में सब्जियों के प्रयोग से हमारे शरीर में रोग-अवरोधिता आ जाती है।
भारत की अधिकांश जनता शाकाहारी है, इसलिए यहाँ भोजन में सब्जियों का विशेष महत्त्व है। फिर भी अन्य देशों की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति सब्जी की खपत बहुत कम है।
यहाँ प्रति व्यक्ति प्रति दिन भोजन में औसतन 125 ग्राम सब्जी ही प्राप्त होती है, जबकि आहार-विशेषज्ञों के अनुसार यह मात्रा 275 ग्राम होना चाहिए।
हमारे यहाँ विभिन्न मौसमों में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है,
जैसे-
1. ग्रीष्मऋतु की (गरमा) सब्जियाँ – बैंगन, करैला, नेनुआ, भिंडी, परवल, कद्दू, ककड़ी आदि।
2. बरसाती (खरीफ) सब्जियाँ – कद्दू, कोहड़ा, झिंगनी, नेनुआ, बोड़ा, बैंगन, भिंडी, साग आदि।
3. जाड़ा की (रबी) की सब्जियाँ – आलू, टमाटर, गाजर, फूलगोभी, पातगोभी, मूली, प्याज, लहसुन, पालक साग आदि। आलू हमारे यहाँ की प्रमुख सब्जी है।
कुछ सब्जियाँ, जैसे मूली, गाजर और टमाटर दाँत से चबाकर कच्चा रोज खाना चाहिए। इन्हें पकाने पर थोड़ी पौष्टिकता नष्ट हो जाती है।
सब्जियों को पकाने के ठीक पहले धोकर काटना चाहिए। कटी सब्जी को धोने और अधिक देर छोड़ देने से उसका पौष्टिक पदार्थ नष्ट हो जाता है।
आइये नीचे कुछ प्रमुख सब्जियों की वैज्ञानिक खेती का विवरण दिया गया है। अब बारी-बारी से सभी सब्जियों के खेती के बारे में समझते हैं।
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आशा करता हूँ की आपको Sabji ki Kheti – सब्जियों की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।