आइये हमलोग Tamatar ki Kheti : टमाटर की वैज्ञानिक खेती के बारे में समझते हैं।
टमाटर की वैज्ञानिक खेती | सब्जियों की बागबानी
टमाटर (Tomatoes) सर्दी की फसल है। सब्जी के अतिरिक्त इससे चटनी, सलाद, सूप आदि भी बनते है।
* प्रमुख किस्में- स्वीट-72, पंजाब केसरी, कीर्ति, मारग्लोब, पूसा रूबी, पूसा अर्ली, रोमा, ड्वार्फ गैमेट आदि टमाटर की प्रमुख किस्में हैं।
* मिट्टी- टमाटर प्रायः सभी प्रकार की मिट्टियों में उपजाया जाता है। पर, हलका अम्लीय तथा दोमट मिट्टी इसके लिए विशेष उपयुक्त है।
* बुआई- टमाटर के पौधे पौधशाला में तैयार किए जाते हैं। पौधशाला के लिए खेत को तबतक जोतना-कोड़ना चाहिए जबतक मिट्टी भुरभुरी न हो जाए। फिर इसमें कंपोस्ट एवं उर्वरक तथा कीटनाशक रसायन (एल्ड्रिन) आवश्यकतानुसार मिला देना चाहिए। बिचड़ा लगाने का उपयुक्त समय अगस्त से नवंबर है।
इसके लिए प्रति हेक्टेयर 500-600 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पौधशाला में बीज डालने के बाद उसे पानी के फुहार से तर कर देना चाहिए। फिर उसे पुआल से ढंक देना चाहिए। जब पौधे निकलने लगें तब पुआल को हटा देना चाहिए। 20-25 दिनों में पौधे तैयार हो जाते हैं।
* खेत की तैयारी- टमाटर के पौधे रोपने के पूर्व खेत को तीन-चार बार जोतकर समतल कर लेना चाहिए तथा खरपतवार निकाल देना चाहिए।
* रोपनी- तैयार खेत में पौधे को 60 cm x 60 cm की दूरी पर लगा देना चाहिए।
* खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग- टमाटर में खाद-उर्वरकों की औसत मात्रा अग्रांकित प्रकार है।
कंपोस्ट 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
यूरिया 2.00 से 2.50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
सिंगल सुपरफॉस्फेट 3.50 से 3.50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
पोटाश सल्फेट या म्यूरिएट ऑफ पोटाश 1.00 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
कंपोस्ट, सिंगल सुपरफॉस्फेट और पोटाश की पूरी मात्रा और यूरिया की आधी मात्रा बिचड़े लगाने के पूर्व और बचे हुए यूरिया की आधी मात्रा निराई-गुड़ाई करते समय देना चाहिए।
* सिंचाई- सामान्यतः 15-20 दिनों के अंतराल में सिंचाई करना चाहिए। फसल की संपूर्ण अवधि में 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
* निराई-गुड़ाई- प्रत्येक सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई अवश्य करना चाहिए। ताकि
खर-पतवार साफ हो जाए। मिट्टी हलकी हो जाए और खेत में नमी बनी रहे। आवश्यकतानुसार पौधों की जड़ पर मिट्टी चढ़ाना भी आवश्यक होता है। इससे पौधे मजबूत और स्थिर होते है। पौधों को लकड़ी का सहारा देना लाभदायक होता है।
* पौधा संरक्षण- पौधों को रोपने के लगभग 20 दिनों के बाद 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के दर से क्रोटोफॉस का छिड़काव करना चाहिए। इससे धड़फलछेदक कीड़ों से फसल का बचाव होता है। फसल की पूरी अवधि में यह छिड़काव तीन बार करना जरूरी होता है। झुलसा रोग से बचाव के लिए इंडोफिल-45 नामक दवा का इस्तेमाल किया जा सकता है।
* कटनी- टमाटर के तैयार फल का रंग लाल हो जाता है। फल तैयार होने पर उसे तोड़ लेना चाहिए। कम पके फल छह से आठ दिनों तक तोड़कर रखे जा सकते हैं।
आशा करता हूँ की आपको Tamatar ki Kheti : टमाटर की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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