आइये हमलोग Gobhi ki Kheti : फूलगोभी और पातगोभी की वैज्ञानिक खेती के बारे में समझते हैं।
फूलगोभी और पातगोभी की वैज्ञानिक खेती | सब्जियों की बागबानी
फूलगोभी और पातगोभी जाड़े की प्रमुख सब्जियाँ हैं। यह किसी भी प्रकार की मिट्टी में उपजाई जा सकती है। पर, हलका अम्लीय या हलका क्षारीय दोमट मिट्टी इसके लिए विशेष उपयुक्त है।
* प्रमुख किस्में- 1. फूलगोभी–पटना अर्ली, पूसा दीपाली, पूसा कतकी, हाजीपुरी, कुआरी, पटना मेन, इम्प्रूव्ड जापानी, अगहनी, पटना लेट, स्नोबॉल आदि फूलगोभी का प्रमुख किस्में है।
2. पातगोभी/ बंद गोभी – प्राइड ऑफ इंडिया, अर्ली ड्रमहेड, लेट ड्रमहेड आदि पातगोभी की प्रमुख किस्में है।
* खेत की तैयारी- पौधे लगाने के पहले खेत की दो-तीन बार अच्छी तरह जुताई कर लेना चाहिए ताकि मिट्टी हलकी हो जाए। फिर पाटा चलाकर जमीन को समतल कर खरपतवार निकाल देना चाहिए। फिर इसमें आवश्यकतानुसार नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कंपोस्ट, पोटाश आदि डाल देना चाहिए। कीटों से सुरक्षा के लिए थोड़ा एल्ड्रिन भी मिला दिया जाता है।
* बुआई- गोभी को पौधशाला में तैयार किया जाता है। पौधशाला में बीज गिराने के पहले गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। तब उसमें बीजों को समान रूप से छीटकर मिट्टी में मिला देना चाहिए।
पौधशाला के लिए तैयार जमीन में 500 से 700 ग्राम तक प्रति हेक्टेयर की दर से बीज बोए जाते हैं। बीज बोने के बाद उसे पुआल से ढँक देना चाहिए तथा बीजों के अंकुरित होने पर पुआल को हटा लेना चाहिए। 20-25 दिनों में गोभी का पौधा तैयार हो जाता है।
* बोने का समय- फूलगोभी के लिए जुलाई-अगस्त तथा पातगोभी के लिए अक्टूबर उपयुक्त समय है।
* रोपनी- गोभी के पौधे को पौधशाला से उखाड़कर तैयार खेत में रोप देना चाहिए। दो पौधों की दूरी 40 से 50 cm होना चाहिए। 25-30 दिनों के बाद पौधों की जड़ों पर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
* खाद एवं उर्वरक- प्रति हेक्टेयर 250 क्विंटल कंपोस्ट, 3 क्विंटल यूरिया, 5
क्विंटल सिंगल सुपरफॉस्फेट और 1.0 क्विंटल म्यूरिएट ऑफ पोटाश की आवश्यकता होती है।
* सिंचाई- आवश्यकतानुसार हलकी सिंचाई करना चाहिए। गोभी की खेती में 5-6 सिंचाई की आवश्यकता होती है।
* निराई-गुड़ाई- समय-समय पर खरपतवार निकालकर खेत को साफ रखना चाहिए। पौधों पर आवश्यकतानुसार मिट्टी भी चढ़ाना अनिवार्य है।
* फसल-संरक्षण- डायमंड ब्लैक मॉथ तथा सरसों-मक्खी से बचाव के लिए एक लीटर मोनोक्रोटोफॉस को 750 लीटर पानी में घोलकर रोपने के लगभग 15 दिनों के बाद छिड़काव करना जरूरी है।
लीफ स्पॉट से बचाव के लिए 0.02% इंडोफिल-45 दवा का 10-15 दिनों के अंतराल पर दो-तीन बार छिड़काव करना चाहिए। डैपिंग-ऑफ रोग से बचने के लिए कैप्टान या फाइटोलॉन का एक ग्राम एक लीटर पानी में घोलकर व्यवहार किया जाता है।
* कटनी- फल तैयार हो जाने पर काट लेना चाहिए। पैदावार प्रति हेक्टेयर 250 क्विंटल मिलती है।
आशा करता हूँ की आपको Gobhi ki Kheti : फूलगोभी और पातगोभी की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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