आइये बहुत ही मजेदार हिंदी के टॉप 5 कहानी (Hindi Story for Children | बच्चों के लिए हिंदी कहानी) पढ़े। जिसे पढ़ कर आप बहुत खुश हो जाओगे (Hindi Story for Children | बच्चों के लिए हिंदी कहानी) एक बार जरूर पढ़े मजा नहीं आया तो फिर बोलना।
कहानी नंबर- 1. कुम्हार का गधा
किसी गाँव में एक कुम्हार रहता था, उसके पास एक गधा था, वह गधा ही उसके परिवार की रोजी रोटी का साधन था। कुम्हार गाँव के दुकानदारों का माल शहर से गधे पर लादकर गाँव ले आता था। इस प्रकार जो पैसे मिलते, उनसे वह अपने परिवार का गुजारा चलाता रहता था। परंतु समय एक जैसा नहीं रहता । अचानक एक रात कोई चोर उसके गधे को चुरा कर ले गया। कुम्हार ने उसे ढूँढ़ने की बहुत कोशिश किया परन्तु गधे का कहीं पता न चला।
गधे के बिना उसका काम नहीं चल सकता था। अतः मजबूर होकर उसने दूसरा
गधा खरीदने का विचार बनाया और एक सेठ से कुछ रुपये उधार लेकर पशुओं की मंडी के लिए नया गधा खरीदने के लिए चल पड़ा। मंडी पहुॅंचकर उसने देखा कि उसका चोरी हुआ गधा लिए एक आदमी उसे बेचने के लिए एक स्थान पर खड़ा है। उसने गधे को पहचान कर उस आदमी से कहा – यह गधा तो मेरा है, तुम इसे
चोरी करके ले आए हो। मुझे मेरा गधा वापस दे दो, नहीं तो मैं शोर मचा दूँगा।
कुम्हार की बात सुनकर उस आदमी ने कहा यह गधा मेरा है, तू झूठ बोलकर इसे अपना बनाना चाहता है मेरी चीज है, मैं तुझे कैसे दे दूँ। जो करना है कर लो उनका झगड़ा सुनकर काफी लोग वहाँ इकट्ठा हो गए। दोनों की बातें सुनकर काफी लोगों ने पूछा- तुम्हारे पास अपना पक्ष सही सिद्ध करने के लिए कोई सबूत है?
कुम्हार की बुद्धि काम कर गयी। उसने तुरंत एक कपड़े से गधे की आँखों पर पट्टी बाँध दी और लोगों से कहा, मेरा गधा एक आँख से अंधा है। यदि यह गधा इसका है तो इसे यह भी पता होगा कि उसे किस आँख से दिखायी नहीं देता। उस आदमी ने तुरंत कहा – हाँ-हाँ इसे दाईं आँख से दिखाई नहीं देता। उस आदमी ने फिर तुरंत बात बदल कर बोला, नहीं-नहीं वह बायीं आँख से अंधा है। कुम्हार की चाल काम कर गयी।
उसने गधे की आँखों से पट्टी खोलकर लोगों से कहा – आपलोग भी देख लीजिए कि गधा अंधा है या इसकी दोनों आँखों से ठीक से देख सकती है। लोगों ने देखा, कि गधे की दोनों आंखें ठीक है। उन्होंने कुम्हार की बुद्धि और चतुराई की प्रशंसा की और उस आदमी से कहा – तुम झूठे हो, गधा तुम्हार नहीं है। गधा कुम्हार को दे दो। नहीं तो हम तुम्हें पुलिस के हवाले कर देंगे। चोर ने गधा कुम्हार के हवाले कर दिया और लोगों से अपने झूठ और चोरी के लिए क्षमा मांगी। कुम्हार अपना गधा लेकर खुशी-खुशी घर आ गया ।
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इस कहानी को पढ़कर आप (Hindi Story for Children | बच्चों के लिए हिंदी कहानी) बहुत खुश हो जाओगे एक बार जरूर पढ़े मजा नहीं आया तो फिर बोलना।
कहानी नंबर- 2. स्वार्थ का परिणाम
एक जंगल बड़ा ही हरा-भरा और सुहाना था वहाँ तरह-तरह के पशु-पक्षी रहते थे। हिरन, बिल्ली, खरगोश, चूहा। इन चारों में बहुत गहरी दोस्ती थी, चारों एक नदी के किनारे साथ-साथ रहते थें। सभी पशु-पक्षियों में इनकी दोस्ती की बड़ी चर्चा थी।
एक दिन अचानक नदी में बाढ़ आ गई। वे चारों दोस्त नदी के किनारे खड़े थे। उन लोगों को नदी पार करनी थी, पर किसी को तैरना नहीं आता था। वे खड़े-खड़े सोचने लगे कि नदी कैसे पार की जाए, इतने में एक कछुवे को रोककर पूछा। क्या आप हमें इस पार से उस पार तक पहुँचा देंगे ? कछुआ राजी हो गया। चारों दोस्त खुश होकर कछुआ की पीठ पर सवार हो गए।
नदी में थोड़ी दूर पहुँचने पर कछुआ अचानक रुक गया और बोला मैं बहुत थक गया हूँ पीठ पर इतना बोझ मैं सहन नहीं कर पा रहा हूँ तुम्हारे बोझ के कारण कहीं मैं पानी में न डूब जाऊँ। तुममें से कोई अगर मेरी पीठ पर से कम हो जाए तो खतरा टल सकता है। कछुआ की बात सुनकर हिरण ने बिल्ली की ओर देखा, बिल्ली ने खरगोश की ओर देखा और खरगोश ने चूहे की ओर देखा। चूहा भला किसकी ओर देखता। तभी अचानक खरगोश ने चूहे को पंजा मारा और चूहा नदी की बाढ़ में समा गया।
अब बचे तीन – हिरण, बिल्ली और खरगोश। कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। कुछ दूर आगे चलकर वह फिर रुक गया और बोला, “भाई मैं थोड़ा थक गया हूँ। तुम में से अगर एक कम हो जाए काम चल जाएगा।” इस बार फिर हिरण ने बिल्ली की ओर देखा, बिल्ली ने खरगोश की ओर देखा। तभी बिल्ली ने खरगोश को धक्का दे दिया और खरगोश बाढ़ में गोते खाने लगा।
कछुआ की पीठ पर बचे हिरण और बिल्ली। उन दोनों को पीठ पर लिए कछुआ चल दिया। लेकिन कुछ कदम चल पाया था कि वह फिर रुक गया और बोला क्या बताऊँ भाई अब भी किनारे तक पहुँचना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है। अब बिल्ली ने हिरण की ओर देखा किन्तु हिरण ने अपने सींगों से बिल्ली को मारा। बिल्ली लड़खड़ा कर गिर गई।
किनारा अभी दूर था। चलते-चलते कछुआ फिर ठहर गया और बोला हिरण तुम्हारा बोझ नहीं सहा जाता। हिरण डर गया और वह घबरा कर बोला, “नहीं-नहीं यह आप क्या कह रहे हैं ? क्या आपने हम चारों को डुबाने के लिए अपनी पीठ पर चढ़ाया था ?” कछुआ बोला – मैंने तुम चारों को सच्चा दोस्त समझकर अपनी पीठ पर बिठाया था। पर मुझे क्या मालूम था कि तुम सब अपनी जान बचाने के लिए स्वार्थ से। एक दूसरे की जान के दूश्मन बन जाओगे।
अगर तुम सब आपस में एक दूसरे के लिए अपने जान के बलिदान की बात करते तो तुममें से किसी को भी डूबने नहीं देता और खुशी-खुशी चारों को उस पार पहुँचा देता। लेकिन तुम सब स्वार्थी हो यदि तुम सब सच्चे दोस्त होते तब एक दूसरे के संकट में जान देने के लिए तैयार रहते। कछुआ का उत्तर सुनकर हिरण अपने किए पर पछताने लगा।
अत: बच्चों हमें अपना स्वार्थ सिद्धि नहीं करना चाहिए बल्कि हमें एक-दूसरे के प्रति बलिदान देने की भावना होनी चाहिए ।
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कहानी नंबर- 3. अच्छाई का फल
एक गरीब लड़का था। वह एक झोपड़ी बनाकर रहता था उसका नाम रामू था, वह बहुत दयालु था। उसके माता-पिता नहीं थे। एक बार गाँव में भयानक रोग फैल गया। सब लोग मरने लगे। रामू भी अपना गाँव छोड़कर दूसरे गाँव के लिए चल पड़ा। रास्ते में उसने देखा कि एक कौवा भौरे का पीछा कर रहा है। रामू को दया आई। उसने कौवे को भगा दिया। भौरे ने उसे बहुत धन्यवाद दिया। भौरे ने कहा, “तुम कभी मुझे याद करोगे, मैं तुम्हारी मदद के लिए आ जाऊँगा।” रामू आगे चल पड़ा।
तभी वह देखता है कि कुछ लोग मिलकर एक बिच्छु को मार रहे हैं। रामू ने कह-सूनकर बिच्छू को बचा लिया। बिच्छू ने उसे धन्यवाद देते हुए कहा – जब कभी तुम मुझे याद करोगे मैं तुम्हारी सेवा में हाजिर हो जाऊँगा। रामू आगे चल पड़ा।
तभी उसने देखा कि एक बिल्ली एक चूहे को सता रही है। रामू ने उस बिल्ली को भगाकर चूहे को बचा लिया। चूहे ने कहा- “मुसीबत के समय तुम मुझे याद करना, तुरंत ही मदद के लिए जाऊँगा।”
चलते-चलते रामू एक गाँव में पहुँचा। वहाँ वह एक बुढ़िया के घर ठहर गया। उसने देखा कि बुढ़िया हर समय उदास रहती है। उसने बुढ़िया से उसकी निराशा का कारण पूछा। बुढ़िया ने बताया, “यहाँ का राजा बड़ा अत्याचारी है। प्रतिदिन वह एक व्यक्ति को मरवा डालता है। जल्दी ही मेरी भी बारी आ सकती है।” रामू को इस बात का बड़ा दुःख हुआ। उसने यह सोच लिया कि वह अत्याचारी राजा का नाश करके ही छोड़ेगा।
रामू ने तीनों साथियों को तत्काल याद किया। पल भर में ही तीनों साथी उपस्थित हो गए। सबसे पहले उसने चूहे से कहा कि वह जल्दी से एक सुरंग बना दे, जो राजा के बगीचे तक पहुँचती हो। बात ही बात में सुरंग बन गई। चारों मित्र उस सुरंग के मार्ग से राजा के बाग में पहुंच गए। घनी झाड़ियों में छिपकर बैठ गए।
सुबह हुई। राजा बगीचे में घुमने आया। योजना के मुताबिक भौंरा राजा के सिर पर डंक मार कर पेड़ पर जा बैठा। राजा को गुस्सा आ गया।
उसने अपने नौकर से उसी समय एक सीढ़ी मँगवाई और उससे बोला तुम इस सीढ़ी को मजबूती के साथ पकड़ो मैं ऊपर चढ़कर उस दुष्ट भौरे को पकड़ता हूँ। इतना कहकर राजा सीढ़ी पर चढ़ गया रामू ने उसी समय बिच्छु से कहा कि वह नौकर के पैर में अपना डंक फौरन मार दे। बिच्छु ने वैसा ही किया दर्द के मारे नौकर सीढ़ी छोड़ कर भाग गया। राजा सीढ़ी से नीचे गिरा और मर गया। लोगों ने मिलकर रामू को ही वहाँ का राजा बना दिया। सच है, आदमी की अच्छाई का फल एक न एक दिन मिलकर ही रहता है।
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इस कहानी को पढ़कर आप (Hindi Story for Children | बच्चों के लिए हिंदी कहानी) बहुत खुश हो जाओगे एक बार जरूर पढ़े मजा नहीं आया तो फिर बोलना।
कहानी नंबर- 4. सौ सुनार की, एक लुहार की
किसी गांव में दो दोस्त रहते थे। एक था सुनार और एक था लुहार। लुहार बड़ा मेहनती और मन का अच्छा था जबकि सुनार आलसी और मक्कर था। सुनार रोज शाम को लुहार के घर आता, इधर-उधर की बातें करता और फिर लुहार द्वारा बनाई गई चीजों में से एक अपने घर ले जाता था। बेचारा गरीब लुहार बड़ी मेहनत करके वे चीजें बनाता था। सुनार की इस हरकत से उसे बड़ी हानि होती थी। पर दोस्ती व संकोच के कारण कुछ भी नहीं बोलता था।
एक दिन लुहार ने दिन भर मेहनत कर एक बाल्टी बनाई। वह बाल्टी बहुत अच्छी बन गई थी। लुहार सोच रहा था कि इस बाल्टी से अच्छे पैसे आएंगे। उन पैसों से बच्चों के कपड़े लाने का विचार कर ही रहा था कि उसका दोस्त सुनार वहाँ आ गया वह बाल्टी उसे भी बहुत पसंद आई। उसे घर ले जाते हुए वह बोला- इसे देखकर तुम्हारी भाभी बहुत खुश होगी। सुनार बाल्टी ले गया। लुहार देखता ही रह गया। उसे बड़ी हानि हुई। उस बाल्टी को बेचकर वह घर में खुशियाँ लाना चाहता था। पर वह तो बहुत दुःखी हो गया था।
वह देर तक सोचता रहा कि रोज-रोज की यह हानि कैसे दूर हो। आखिर उसे एक उपाय सुझा, फिर क्या – एक दिन वह सुनार के यहाँ जाने का योजना बनाया। जैसे ही वह पहुँचा तभी सुनार ने बाल्टी की तारीफ़ करने लगी। तुम्हारी भाभी को इतनी पसंद आई कि पूछो ही मत। लुहार बोला- मेरी छोटी सी भेंट तुम दोनों को इतनी अच्छी लगी, यह मेरे लिए बड़े आनन्द की बात है। तभी लुहार की नजरें दुकान पर रखे गहनों पर घूम रही थीं। सामने ही सोने का एक हार सुंदर डिब्बे में रखा था। उसमें मोती व हीरे जड़े थे।
बड़ी मेहनत से कई दिनों में सुनार ने वह हार बनाया था। फिर क्या था – लुहार ने वह हार ले लिया और बोला वाह यार! क्या बात है तुमने गजब की कारीगरी की है। कितना बढ़िया हार है। तुम्हारी भाभी को यह बहुत पसंद आएगा। इसे पहनकर वह बहुत खुश होगी। इतना कहकर वह हार को लेकर वहाँ से रवाना हो गया। सुनार न तो उसे रोक सका और न ही वह हार माँग सका। भला मांगता भी कैसे।
क्योंकि वह कई बार उसके घर से कई चीजें ले आया था फिर उन्हें भी वापस नहीं किया था।
सुनार उदास होकर बैठा ही रहा। वह सोच रहा था कि अभी तक कुल मिलाकर एक सौ रुपए से अधिक की चीजें लुहर के घर से वह नहीं लाया होगा। पर वह लुहार का बच्चा तो एक ही बार में हजारों का माल ले गया। इसके बाद वह सुनार उस लुहार के घर से कभी कोई चीज नहीं लाया और तभी से यह कहावत चल पड़ी ‘सौ सुनार का, तो एक लुहार की।’
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कहानी नंबर- 5. भूखा भेड़िया
किसी जंगल में अनेक जानवर रहते थे – शेर, बाघ, चीता, हाथी, हरिण, भेड़िया, लोमड़ी, खरगोश इत्यादि। उनमें भेड़िया बड़ा धूर्त था। वह शेर, बाघ या चीते द्वारा किए गए शिकार से अपना पेट भरता था। एक बार भेड़िया कई दिनों से भूखा था। वह भोजन की खोज में जंगल में इधर-उधर भटक रहा था।
उसकी नजर एक हाथी पर पड़ी। उसने मन ही मन सोचा कि यदि किसी प्रकार इस हाथी को मार सकूँ, तो छह महीने तक भोजन की चिन्ता नहीं रहेगी। वह धूर्त और चालाक तो था ही। उसे एक उपाय सूझ ही गया। उसने सोचा, हाथी का शरीर जितना विशाल होता है, उसकी बुद्धि उतनी ही मोटी होती है। वह प्रसन्न मन से हाथी के पास पहुॅंचा। उसने झुककर बड़े विनम्र स्वर में हाथी से कहा, “प्रणाम गजराज।” हाथी ने पूछा, क्या बात है?
भेड़िये ने उसी स्वर में कहा, “गजराज! जंगल के सभी जानवरों ने एक सभा कर विचार किया है कि आपको जंगल का राजा बनाया जाय।” इस बात को सुनकर हाथी ने कहा – पर जंगल का राजा तो शेर है, फिर जंगल का राजा मैं कैसे हो सकता हूँ। भेड़िया बोला कैसे नही हो सकते हैं- महाराज? आपमें राजा होने के सभी गुण हैं। आप शेर से बलवान हैं और दयालु भी हैं। शेर तो अकारण ही जानवरों की हत्या किया करते है। हाथी प्रसन्न हो गया। उसने कहा, चलो, मुझे कहाँ चलना है?
भेड़िया आगे-आगे और हाथी पीछे-पीछे चलने लगा। चलते-चलते दोनों एक दलदल वाले गड्ढे के पास पहुँचे। भेड़िये ने पहले से ही उस पर घास-पत्ते डाल दिए थे। भेड़िया हलका था, इसलिए आसानी से उसे पार कर गया। भारी भरकम शरीरवाला हाथी उस होकर गुजरा तो दलदल में फँस गया। उसने दलदल से निकलने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन उसमें फँसता ही चला गया। वह दलदल में फँसकर मर गया। भेड़िये की इच्छा पूर्ण हुई। उसने अपने नुकीले तेज दाँतो से हाथी की मोटी चमड़ी फाड़ डाली। फिर वह कई महीनों तक हाथी के मांस से अपना पेट भरता रहा।
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आशा करता हूँ दोस्तों आपको यह (Hindi Story for Children | बच्चों के लिए हिंदी कहानी) कहानी पसंद आई होगी।
इस कहानी को (Hindi Story for Children | बच्चों के लिए हिंदी कहानी) देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।