आइये हमलोग Muli ki Kheti : मूली की वैज्ञानिक खेती के बारे में समझते हैं।
मूली की वैज्ञानिक खेती | सब्जियों की बागबानी
मूली (Radish) एक अल्प अवधि की सालोभर पैदा होनेवाली सब्जी है। इसका प्रभाव ठंढा होता है। इसके पैदावार के लिए ठंढी जलवायु सर्वश्रेष्ठ होती है। सब्जी, सलाद, मुरब्बा, अचार अनेक रूप में इसका उपयोग होता है।
* भूमि- हलकी, बलुई, दोमट सबसे अच्छी होती है।
* प्रमुख किस्में- पूसा रश्मि, पूसा चेतकी, पूसा हिमानी, जापानी सफेद, पूसा देशी, नस्वार, जौनपुरी, कल्याणपुर और हिसार मूली की प्रमुख किस्में हैं।
* बोने का समय- मूली बोने का समय जून-जुलाई से नवंबर-दिसंबर तक है।
* खाद एवं उर्वरक (प्रति हेक्टेयर)-
(क) गोबर की खाद या कंपोस्ट 200 क्विंटल
(ख) सिंगल सुपरफॉस्फेट 400 किलोग्राम
(ग) यूरिया 200 किलोग्राम
(घ) म्यूरिएट ऑफ पोटाश 150 किलोग्राम
* दूरी- कतार से कतार 30 cm और बीज से बीज 10 cm
* बीज-दर- 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर
* खेत की तैयारी- जमीन की 2-3 बार जुताई कर मिट्टी भुरभुरी बना लेना चाहिए। सड़े हुए गोबर की खाद 200 क्विंटल (कुल मात्रा) मिट्टी में मिलाकर पाटा के द्वारा जमीन को समतल कर लेना चाहिए। निर्धारित दूरी पर नालियाँ एवं मेड़ बना लें। मेड़ की तलहटी में पुनः छोटी-छोटी नालियाँ तैयार करें।
इन्हीं नालियों में नेत्रजन की आधी मात्रा तथा स्फुर एवं पोटाश की पूरी मात्रा का मिश्रण बनाकर समान रूप से गिराएँ एवं मिट्टी से ढँक दें। मेड़ के किनारे नाली बनाएँ एवं उसमें बीज 8-10 सेंटीमीटर की दूरी पर गिराएँ। बुवाई के बाद हलकी सिंचाई करें।
* खाद की मात्रा- प्रति हेक्टेयर 70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फेट और 45 किलोग्राम पोटाश देना चाहिए।
* सिंचाई- 8-10 दिनों के अंतराल पर आवश्यक सिंचाई करना चाहिए।
* निराई-गुड़ाई- मिट्टी हलकी रखने तथा खरपतवार को नष्ट करने के लिए
आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई आवश्यक है, परंतु घने पौधों को दूसरी सिंचाई के बाद अवश्य निकाल दें।
* पौधा संरक्षण- ह्वाइट रस्ट से बचाव के लिए इंडोफिल-45 दवा 300 ग्राम 400 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। ‘लाहो’ रोग से बचाव के लिए 2 ml मेटासिस्टॉक या मेलाथियॉन दवा एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इसपर सरसों-मक्खी का आक्रमण होता है जिसके लिए 10 प्रतिशत BHC धूल 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव किया जाय।
* कटनी- जब 75% जड़ें (मूली) परिपक्व हो जाएँ तो उसे उखाड़ लेना चाहिए। मूली उखाड़ने के पहले हलकी सिंचाई करना चाहिए। ताकि जड़ें टूटने न पाएँ। मूली की जड़ों को धो लेना चाहिए। प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल पैदावार साधारणतः मिल जाती है।
आशा करता हूँ की आपको Muli ki Kheti : मूली की वैज्ञानिक खेती की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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