आइये हमलोग The Rules of Basketball : बास्केटबॉल खेल के नियम के बारे में समझते हैं।
बास्केटबॉल खेल के नियम (The Rules of Basketball)
* परिचय- बास्केटबॉल हाथ से खेला जानेवाला एक विदेशी खेल है। इसका प्रचार
विशेष रूप से अमेरिका में है। इसका प्रारंभ 1891 में संयुक्त राज्य अमेरिका में ही हुआ था। भारत में यह खेल 1904 से खेला जाने लगा। भारत की मिशनरी संस्थाओं और पब्लिक स्कूलों में, विशेषतः महिलाओं के बीच इस खेल का अधिक प्रचार-प्रसार रहा है। 1936 में सर्वप्रथम इसे ओलंपिक खेल में शामिल किया गया। आजकल भारत में भी यह काफी लोकप्रिय है।
The Rules of Basketball : बास्केटबॉल खेल के नियम
* खिलाड़ियों की संख्या- इस खेल में दो दल होते हैं। प्रत्येक दल में 5 सक्रिय खिलाड़ी और 7 सुरक्षित अतिरिक्त खिलाड़ी होते हैं जो प्रतिस्थापित हो सकते हैं। दल के 5 खिलाड़ियों में एक कप्तान रहता है।
* खिलाड़ियों की पोशाक- खिलाड़ी निकर, कमीज तथा साफ कपड़े के जूते पहनते हैं। उनकी कमीज पर आगे और पीछे, बड़े अक्षरों में नंबर लिखे होते हैं।
* कोर्ट या खेल का मैदान- बास्केटबॉल का कोर्ट 28 m लंबा तथा 15 m चौड़ा होता है। इसमें लंबाई में 2 m की कमी/वृद्धि तथा चौड़ाई में 1 m की कमी/वृद्धि की जा सकती है। कोर्ट के बीच में एक वृत्त अंकित किया जाता है जिसका अर्द्धव्यास 1.80 m होता है। इसे केंद्रीय वृत्त कहा जाता है।
* गेंद- इस खेल की गेंद फुटबॉल की गेंद जैसी होती है। इसका घेरा 75 cm से 80 cm और वजन 600g से 650 g तक होता है।
* खेल की अवधि- खेल दो पालियों में खेला जाता है। दोनों पाली 20-20 मिनट के होते हैं। दोनों पालियों के बीच 10 मिनट का विश्राम होता है।
* खेल का आरंभ- खेल का आरंभ सिक्का उछालकर टॉस द्वारा किया जाता है। टॉस जीतनेवाला कप्तान मैदान का कोर्ट चुन लेता है। उसके बाद रेफरी गोलाकार क्षेत्र में गेंद उछालकर खेल शुरू करता है। दोनों दलों के खिलाड़ी उसे पकड़ने की कोशिश करते हैं। प्रत्येक दल का खिलाड़ी अपने क्षेत्र में रहता है। एक पाली खेल समाप्त होने पर दल साइड बदल लेते हैं।
* विशेष- इस खेल में गेंद केवल हाथों से खेला जाता है। इसे एक खिलाड़ी अपने दल के खिलाड़ी को पास कर सकता है। खिलाड़ी गेंद को ड्रिब्लिंग करके ले जा सकता है, पर पाँच सेकंड से अधिक अपने हाथ में नहीं रख सकता। नियमानुसार गेंद को उछालकर विपक्षी के बास्केट में गिराकर गोल करना खिलाड़ी का मुख्य उद्देश्य है।
गोल हो जाने के बाद विपक्षी दल का कोई खिलाड़ी फिर से गेंद को मैदान में लाता है। गेंद के मैदान में आते ही 5 सेकंड के अंदर गेंद उछालकर खेल आरंभ हो
जाता है।
* स्कोर होना- गोल होने को ‘स्कोर होना’ कहते हैं। गेंद ऊपर से गिरकर बास्केट में थोड़ी देर अटककर गिर जाने को गोल मान लिया जाता है। रेखा के क्षेत्र से किए गए गोल के दो अंक तथा फ्री थ्रो द्वारा किए गए गोल का एक अंक होता है।
* हार- जीत का फैसला- हार-जीत का फैसला अंकों की प्राप्ति पर निर्भर करता है। नियमित समय तक खेल हो जाने पर जिस दल को अधिक अंक प्राप्त होता है वह विजयी घोषित किया जाता है। निश्चित समय के बाद भी अंक समान रहने पर पुनः दलों को दो पालियों में अतिरिक्त समय तक खेलाया जाता है। यदि फिर भी हार-जीत का फैसला नहीं होता है तो मैच फिर दूसरे दिन होता है।
* खेल का नियंत्रण- खेल के नियंत्रण के लिए एक रेफरी, एक अंपायर, एक स्कोरर, एक टाइमकीपर तथा कई स्टॉप-वाचों की जरूरत होती है।
आशा करता हूँ दोस्तों आपको The Rules of Basketball : बास्केटबॉल खेल के नियम की पूरी जानकारी पसंद आई होगी। इसे देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।
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