आइये हमलोग भारतीय Vyayam ka Mahatva | व्यायाम का महत्व जानें! साधारण दंड और बैठक
* दंड : इस देश के प्राचीनतम व्यायामों में दंड करना है। इससे शरीर में शक्ति और लचीलापन मिलता है, जो स्वस्थ और सबल शरीर के लिए अत्यावश्यक है। दंड करने से हमारी मांसपेशियाँ सबल और दृढ़ होती हैं। यदि दंड के साथ-साथ अन्य व्यायाम किए जाएँ तो शरीर को गति और स्फूर्ति भी मिलेगी। दंड करने से हाथ, पैर, छाती और पेट का व्यायाम होता है और दम भी बढ़ता है।
साधारण दंड से सभी लाभ मिल जाते हैं। अन्य दंड साधारण दंड के रूपांतर हैं। जो अन्य दंड हैं वे दंड-जोर, गर्दन-कसी, साफ-सूफ, चक्र-दंड, मेढ़क-दंड, आगे बढ़ता हुआ हाथ का दंड, विपरीत हाथ-पैर का दंड, एक हाथ और एक पैर (एक ही ओर का) दंड, खड़ाऊँ-दंड हैं। साधारण दंड के अतिरिक्त अन्य दंड प्रदर्शन के लिए किए जाते हैं। यों तो सूर्य नमस्कार योगासन भी अष्टांग-दंड है।
साधारणतः 9 वर्ष से 12 वर्ष के आयुवर्ग के बालक-बालिकाओं को नित्यप्रति दंड करना चाहिए। दंड के कुछ मापदंड निर्धारित हैं, यथा कक्षा 6 के छात्र-छात्राओं के लिए 10, वर्ग 7 के लिए 20 और वर्ग 8 के छात्र-छात्राओं के लिए 38 बार दंड करने का मापदंड निर्धारित है।
* दंड करने की विधि :
1. बैठ जाएँ और हाथों को बढ़ाते हुए जमीन पर पट होकर शरीर का संतुलित भार लें। दोनों हाथों की तलहथियाँ जमीन से लगी रहेंगी और दोनों पैर फैले रहेंगे, परंतु पैरों का भार पैरों के पंजों पर होगा। गर्दन के साथ सिर ऊँचा उठा रहेगा।
2. अब सिर को दोनों पूरे तने हाथों के बीच लाते हुए धड़ को कमर तक पीछे की ओर ऐसा धकेलें कि शरीर के बीच में नीचे की ओर त्रिकोण बन जाए। पैर और हाथ अपने-अपने स्थान पर रहेंगे।
3. इस स्थिति से पुनः धड़ को आगे की ओर धकेलें और छाती को सामने ऊपर
की ओर तानते हुए गर्दन और सिर को ऊपर की ओर उठाएँ, कमर जमीन के पास आ जाएगी और धड़ धनुषाकार हो जाएगा। हाथ अपने-अपने स्थान पर रहेंगे।
अपनी शक्ति भर दूसरी और तीसरी क्रिया को दुहराते हुए रहने पर दंड की संख्या गिनी जाएगी। अभ्यास धीरे-धीरे करना चाहिए, परंतु अभ्यास हो जाने पर दंड बहुत तेजी से किया जाता है।
* चक्र-दंड :
1. शरीर का भार पैर के पंजों पर रखते हुए घुटनों को पूरा आगे झुकाते हुए उनके बीच से दोनों को सीधा रखते हुए दोनों तलहथियों को जमीन पर रखे।
2. बायाँ पैर बाईं ओर फैलाएँ ।
3. बाएँ पैर को आगे से परिधि बनाते हुए दोनों हाथों के नीचे से पार करते हुए दाईं ओर ले जाएँ। ऐसा करते हुए क्रमशः बायाँ और दायाँ हाथ जमीन से उठेगा और फिर जमीन पर आ जाएगा।
4. उसी क्रम में पैरों को पीछे की ओर झटके से ले जाएँ और शरीर का भार पंजों और हाथों पर लाते हुए ठुड्डी और छाती को जमीन के पास ले जाएँ।
5. हाथों को सीधा करते हुए छाती, गर्दन और सिर को ऊपर की ओर तानते हुए शरीर को धनुषाकार बनाएँ।
6. कमर को ऊपर पीछे की ओर धकेलते हुए सीधे हाथों के बीच में गर्दन और सिर को लाएँ। इस प्रकार, एक चक्र-दंड पूरा हुआ। अभ्यास होने पर चक्र-दंड तेजी से करने का अभ्यास करना चाहिए।
* बैठक :
प्राचीन भारतीय व्यायामों में बैठक भी है। पुराने समय में छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को गलती करने पर सजा के रूप में बैठक करने का आदेश दिया जाता था। साधारण बैठक के अतिरिक्त इस व्यायाम के भी रूपांतर हैं। इससे पैर, पेट और हाथों का भरपूर व्यायाम होता है।
इसके रूपांतरित बैठकों में सरक-बैठक, नमस्कार-बैठक, कुर्सी-बैठक, झुकना-
बैठक, कूदना-बैठक आते है। उठना और बैठक तथा फिर उठना और बैठना का अभ्यास करना पड़ता है। खड़ा व्यक्ति दोनों पैरों पर तेजी से बैठता है और तुरंत खड़ा हो जाता है। इसीलिए इसे उठ-बैठ करना या ‘उठक-बैठक’ भी कहते हैं।
इसके लिए मापदंड इस प्रकार है-
छठा वर्ग-20 बार उठ-बैठ करना
सातवाँ वर्ग-30 बार उठ-बैठ करना
आठवाँ वर्ग-40 बार उठ-बैठ करना
* सादी बैठक की विधि :
1. दोनों पैरों को एक-दूसरे से 25 cm की दूरी पर रखकर खड़े हो जाइए।
2. दोनों हाथों को केहुनी के पास आगे की ओर मोड़ते हुए झटके के साथ पीछे फेंककर आगे की ओर बढ़ाते हुए पंजों के बल तेजी से बैठ जाएँ और तुरंत फिर उठकर अपने स्थान पर खड़े हो जाएँ। इस प्रकार, एक बैठक पूरी हो जाती है। बैठने के समय हाथ की मुट्ठियाँ बँधी रहेंगी।
* सरक-बैठक :
यह भी साधारण बैठक की तरह करना है, परंतु बैठने के समय खड़े रहने के स्थान से कुछ दूर आगे सरककर बैठना और उठते हुए खड़े होने के स्थान पर आना है।
* बजरंग-बैठक :
खड़े होने की अवस्था में बैठते समय एक पैर के पंजे को पीछे फेंकते हुए, उस घुटने को जमीन पर लाना, उसपर उस ओर के हाथ की तलहथी को रखना और दूसरे पैर के पंजे पर शरीर का संतुलन कायम रखते हुए आगे की ओर घुटने को उठाए हुए उस ओर के हाथ का पंजा फैलाए हुए कंधे की सीध में ऐसा उठाना जैसे उसपर कुछ भार उठा रहे हों, फिर खड़े हो जाना। इस प्रकार, एक बजरंग-बैठक पूरी हुई।
आशा करता हूँ दोस्तों आपको Vyayam ka Mahatva | व्यायाम का महत्व जानें! की पूरी जानकारी पसंद आई होगी।
Vyayam ka Mahatva | व्यायाम का महत्व जानें! देखने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।