{साँप काटने पर उपचार | साँप काटने पर प्राथमिक उपचार}
* साँप काटने पर प्राथमिक उपचार *
सभी साँप विषैले नहीं होते। डोड़वा, हुरहुरवा, धामिन आदि साँप विषैले नहीं होते पर गेहुँअन, करैत आदि बड़े विषैले होते हैं। इनके काटने पर विष बड़ी तेजी से रक्त में फैलने लगता है। अगर तुरंत इसका उपचार नहीं किया गया तो व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
• विषैले साँप के काटने पर व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
1. काटा हुआ स्थान काला हो जाता है तथा दाँतों का दाग पड़ जाता है।
2. काटे हुए स्थान पर बड़ा दर्द होता है।
3. मूर्छा का लक्षण दिखाई पड़ता है।
4. मुँह से झाग तथा लार टपकने लगता है।
5. पैरों में ऐंठन होने लगती है।
6. बहुत गर्मी का अनुभव होता है।
7. अधिक विषैले सर्प के काटने पर रोगी की जीभ एवं बोलने के अन्य अंगों में लकवा मार देता है।
8. आँखों की पुतलियाँ संकुचित होने लगती है।
* उपचार :-
1. साँप काटे स्थान पर लहसुन पीसकर रगड़ दें।
2. साँप के काटे स्थान के लगभग दो सेंटीमीटर ऊपर हृदय की ओर कसकर पट्टी बाँध देना चाहिए, ताकि विष का प्रवाह हृदय की ओर न जाए।
3. घाव से रक्त बह रहा हो तो उसे बहने दीजिए। साफ ब्लेड या चाकू से घाव के स्थान पर एक गहरा चीरा लगा देना चाहिए, ताकि विषैला रक्त बाहर निकल जाए। चीरा क्रॉस (x) के चिह्न की तरह होना चाहिए।
4. विष को शरीर से बाहर निकालने के लिए संभव हो तो कटे स्थान के खून को मुँह से चूसकर विष बाहर निकाल देना चाहिए।
5. काटे गए स्थान पर बर्फ का टुकड़ा रखना चाहिए।
6. घाव पर पोटैशियम परमैंगनेट का गाढ़ा लेप या सिरका लगा देना चाहिए।
• इसके बाद किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाना चाहिए।
* सावधानी :-
1. रोगी को पीने के लिए कोई नशीली वस्तु नहीं देनी चाहिए।
2. आघात को कम करने के लिए उसे गर्म दूध या चाय पीने देना चाहिए।
3. रोगी को सोने नहीं देना चाहिए। जगे रहने के लिए रोगी के मुँह पर ठंढे पानी का छींटा मारते रहना चाहिए या शरीर पर राई का लेप करें।
4. बीच-बीच में चूना तथा नौसादर मिलाकर अमोनिया को रूमाल पर छिड़ककर सुंघाते रहना चाहिए।
5. रोगी को बराबर सांत्वना देते रहना चाहिए। इसके बाद रोगी को किसी डॉक्टर के पास या अस्पताल ले जाना चाहिए।
-: समाप्त :-